बारिश
बारिश
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नन्हीं-नन्हीं, छोटी-छोटी बारिश की प्यारी बूंदें,
एक साथ अम्बर से गिरती हैं कितनी सारी बूंदें।
खत्म हुआ है इंतज़ार जो आ गए ये काले बादल ,
कहते हैं मत अकुलाओ,पीछे आती ये सारी बूंदें।
प्यासी धरती,प्यासी नदिया,प्यासी बगिया तड़प रही थी,
बुझी प्यास है इन सबकी जो अब आ गयी ये सारी बूंदें।
उड़ती खुशबू माटी से है,सारे तरुवर झूम रहे हैं,
जड़,चेतन सबके मन को हर्षाती ये न्यारी बूंदें।
मानव के अंधे लालच ने सोख ली ये सारी धरती,
'जल ही जीवन' का संदेसा लायी हैं सारी बूंदें।