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प्यासी धरती,प्यासी नदिया,प्यासी बगिया तड़प रही थी, बुझी प्यास है इन सबकी जो अब आ गयी ये सारी बूंदें प्यासी धरती,प्यासी नदिया,प्यासी बगिया तड़प रही थी, बुझी प्यास है इन सबकी जो अब आ ...
इंसा के बस में होता तो मुहब्बत ही यहाँ होती, भला कौन सोचता है ये कि नफरत में जिया जाए। इंसा के बस में होता तो मुहब्बत ही यहाँ होती, भला कौन सोचता है ये कि नफरत में जिय...
अश्कों पर कविता करनी, जिस कारण से सीखी है, बुरा उसे कैसे कह दूँ, वो तो मेरा निर्माण बने। अश्कों पर कविता करनी, जिस कारण से सीखी है, बुरा उसे कैसे कह दूँ, वो तो मेरा निर्...
ज़िन्दगी को उलझनों में मेरी जाँ, मत डालिये। सीधी सीधी राह में पेंच मत निकालिये। ज़िन्दगी को उलझनों में मेरी जाँ, मत डालिये। सीधी सीधी राह में पेंच मत निकालिये।
यह कविता खुशी के बारे में है। यह कविता खुशी के बारे में है।