STORYMIRROR

बादलों से गिर के एक काजल का कतरा

बादलों से गिर के एक काजल का कतरा

1 min
13.5K


बादलों से गिर के एक काजल का कतरा
होठों पे तेरे तिल बन के सज गया
नज़र लगे ना तुमको किसी की
होठों से निकली थी दुआ
आसमानों ने सुन लिया
गुनगुनाती हैं तन्हाईयाँ
बजने लगी शहनाईयां

सब्ज़ पेड़ों की शाखों तले
वादियों में मिलते रहे
डूबते सूरज की किरणों से
उभरने लगे हो चाँद बन के तुम
दिलरुबा नदी फिर कुछ सुना रही है
गीत गा रही है बहती जा रही
गुनगुनाती हैं तन्हाईयाँ
बजने लगी शहनाईयां

दामिनी सी तुम दमकने लगी
धुप सांवली फिर लगने लगी
आगे पीछे मैं तुम्हारे चलूँ
दुनिया की नज़रों से छुपाके चलूँ
धुंद छट रही है पर लिपट रही है
चलने लगी है देखो साथ साथ
गुनगुनाती हैं तन्हाईयाँ
बजने लगी शेहनाईयां


Rate this content
Log in