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Nigar Yusuf

Others

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Nigar Yusuf

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बादलों के लिफ़ाफे़

बादलों के लिफ़ाफे़

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आज बादलों के लिफ़ाफे खुल गए

और बारिशों की चिठ्ठियां हमने पढ़ी।

चहकते अल्फाजों की बूंदों से

हम ऐसे गीले हुए, के बह गए सब शिकवे, 

हम धूल गए।

कश्तियाँ आज पानी में उतरी हैं...

कागज़ों को जो को जो मोड़ा हमने

लो...दिलों को जोड़ा हमने,

पानी पे यूँ ही बहते रहें 

किनारों की नहीं ललक हमें।

बेफिक्री के दिन है ये मेरे

बिता लूं ख़ुशगवारियों के साथ,

लड़कपन के दिन है मेरे

जी लूँ शरारतों के साथ

के जवानी जब आएगी

ज़िम्मेदारियां साथ लाएगी।

मुझे मेरे दोस्तों से दूर लेके जाएगी।



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