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Ruder sharma

Others

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अवध में पधारे रघुराई !!

अवध में पधारे रघुराई !!

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अवध मेें पधारे,राम-रघुवीर ,

भूल-भूलाकर,सब दुख अपना,

जलाकर दीपक,सजाकर नगरी,

खा रहे सब,मिठी-मिठी खीर !!


देख रघुराई की,छवि ऐसी, 

देखी ऐसी,न किसी के जैसी,

निहार-निहार के,गुण-गान कर के,

आंसुओ से भर आईं,आंखे ऐसी !!


नयन कमल,मोती के जैसे,

तेज चेहरे का,सितारे के जैसे,

मंद-मुस्कान,खिले आकाश के जैसे,

चरण-पादुका,कमल के जैसे !!


रूप तो है,इतना सुन्दर, 

कैसे करूं वर्णन,शब्द नही हैं,

साथ में माँ सीता,जैसे चाँद की चमक

चुरा लिए सारा मंजर !!


अवध सजी,जैसे कोई दुल्हन, 

जल रहे दीपक,सज रहे फूल, 

राम-राम के,लग रहे जयकार, 

झूम रही प्रजा सारी,मन में नही किसी के उलझन !!


दिया जलाकर, घरों को सजाकर, 

भूल-भूलाकर,समस्याएँ सारी,

पहनकर चेहरे पर,मुस्कान बङी वाली,

आओ मिलकर हम भी,मनाएँ दीवाली !


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