आती जाती रहती है मुश्केलीया
आती जाती रहती है मुश्केलीया
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जलता रहता है सूरज
फिर भी प्रकाश देता है
दाग हजारों है चाँद पे
फिर भी चांदनी बिखेरता है
मनुष्य तू क्यो डरता रहता है मुश्किलों से
सीख कुछ इन प्रकृति की दिलेरी से
मुश्किलें तो धूप छाँव की तरह होती है
कभी आती है तो कभी जाती है
डट के सामना कर इन मुश्किलों का
ख़ुदा ने तो दी है तुझ को हिम्मत
लेता है ख़ुदा तेरी परीक्षा मुश्किलों मे
हर हाल मे पास होना है तुझे
ख़ुदा की इस परीक्षा मे