आस ..
आस ..

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अब जीने की कोई आस नहीं,
अब जीने की कोइ प्यास नहीं,
बैठे है हम दरवाज़े पर,
इस पार नहीं उस पार नहीं,
जो पाना था ओ पा ही लिया,
जो खोना था ओ खो ही दिया,
जो लेना था ओ ले ही लिया,
जो देना था ओ दे ही दिया,
अब जीने की कोई आस नहीं,
अब जीने की कोइ प्यास नहीं,
बैठे है हम दरवाज़े पर,
इस पार नहीं उस पार नहीं,
कभी अपनों ने बेगाना किया,
कभी गैरों ने भी अपनाया,
कभी पास तो कभी दूर किया,
पर हमने न तकरार किया,
अब जीने की कोई आस नहीं,
अब जीने की कोइ प्यास नहीं,
बैठे है हम दरवाज़े पर,
इस पार नहीं उस पार नहीं,