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Praveen Gola

Others

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Praveen Gola

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आँखें नम

आँखें नम

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जून तेईस की सुबह बैंक गई,

पैसों की विपदा आन पड़ी ,

लॉकडाउन में रोजगार बंद हुआ,

अब जमे - जुड़े से ही निर्वाह हुआ।


दोपहर बीती चिंताओं में,

कैसे कमायें इन विपदाओं में ?

सरकारें सब सुस्त पड़ी हैं,

बेरोजगारों की लाइन बढ़ी है।


शाम को बिटिया की आँखें चैक कराईं,

फिर से नए चश्मे की माँग सर पर आई,

इस महंगाई के दौर में खर्चे ज्यादा कमाई कम ,

अंदर ही अंदर सबकी हो रही आँखें नम।।


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