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Akhtar Ali Shah

Others

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Akhtar Ali Shah

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आजा रंग खेलें रसिया

आजा रंग खेलें रसिया

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आँखें मौसम की मारे पिचकारी,

के आजा रंग खेलें रसिया ।


जो भी चाहे तू बढ़के उठा रे,

रंग बिखरे हैं लाल हरे कारे ।

मुझको अपने ही रंग में रंगीले,

रंग करके तू अपनी बना रे।।

कर रही हैं ये राधा इंतजारी,

के आ जा रंग खेलें रसिया ।

आँखें मौसम की मारे पिचकारी,

के आ जा रंग खेलें रसिया ।।


झिलमिलाते हैं आंखों के तारे,

अंग धड़कन पे नाच रहे सारे।

पंछी अरमानों के व्योम नापें,

बावरा मन ये तुझको पुकारे ।।

तुझपे जाऊं सांवरिया मैं वारी,

के आ जा रंग खेलें रसिया ।

आंखें मौसम की मारे पिचकारी,

के आ जा रंग खेलें रसिया ।।


भीगी अंगिया मेरी भीगी चूनर,

कंपकपाए मेरी देह नश्वर ।

ये जवानी है मेहमां की सूरत,

जिंदगी होगी कल ना कहीं पर।।

दिल में छाई "अनन्त "बेकरारी,

के आ जा रंग खेलें रसिया ।

आँखें मौसम की मारे पिचकारी,

के आ जा रंग खेलें रसिया ।।



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