आदत बड़ी गलत है
आदत बड़ी गलत है
आदत बड़ी गलत है
आदत हकीक़त भी है
बदनुमां दाग़ भी है
मुस्कुराने की आदत
बड़ी कमाल की होती है।
गमों की परछाइयों को
क्या कहूं,क्या मुस्कुराती है
फिर दो अश्रु बहा कर छिपा देती है।
आदत खिलवाड़ भी है।
सिल दिए, गिन लिए,टिप टिपाती
छत से गिरती पानी की बूंदों
में ज़रा कोहरा छाया।
छान कर इन्द्र धनुष
के रंगों से दिल के हाल बयान किए।
कभी कागज़ की नाव उतारी अपनी आदतों
को बिठाया उसपर, तुझ तक पहुंच जाती
डूंब गई एहसासों की बारिशं में
आदत थी मुझे देख लिया मैंने आइने में।
तू बारिशं की बूंदों में भी थी
आदत की आड़ लिए हठ वाली बातें करते,
कारण ना पता होते भी नाव पर सवार हो जाते
पार जाने की हक हक़ीक़त में बयान करते रहते
पर आदत थी,ज़रूरत कब बन गई पता ना चला
साथ तुम्हारा था हम साथ थे,
ये भी पता ना लगा पाए।
आदत उफ्फ ये इबादत बन गई
पता ना लगा पाएं,ना लगा पाए।
आदत उफ्फ ये इबादत बन गई ,पता ना लगा पाए।
