एक मुक्तक एक मुक्तक
मासूमियत...। मासूमियत...।
हाथ में रोटी लिए भूख को देखा, रोते सिसकते हुए पाथ को देखा, हाथ में रोटी लिए भूख को देखा, रोते सिसकते हुए पाथ को देखा,
मजबूरी में करते काम, अशिक्षा का है परिणाम ! मजबूरी में करते काम, अशिक्षा का है परिणाम !
बेरहम ज़िन्दगी अगर बचपन छीनकर न ले जाती नाज़ुक कंधों पे ज़िम्मेदारियाँ नहीं, मस्तियाँ गुदगुदाती...! बेरहम ज़िन्दगी अगर बचपन छीनकर न ले जाती नाज़ुक कंधों पे ज़िम्मेदारियाँ नहीं, मस्...
हर गली में देखना होगा ज़रूर वो चेहरा जिसकी परछाई का रंग होगा औरो से ज्यादा ही गहरा। हर गली में देखना होगा ज़रूर वो चेहरा जिसकी परछाई का रंग होगा औरो से ज्यादा ही ...