लेखक...। लेखक...।
हमने दुनिया के गम उठाए हैं...। हमने दुनिया के गम उठाए हैं...।
एक अधूरी कविता...। एक अधूरी कविता...।
हाथ में रोटी लिए भूख को देखा, रोते सिसकते हुए पाथ को देखा, हाथ में रोटी लिए भूख को देखा, रोते सिसकते हुए पाथ को देखा,
ज़िन्दगी ये कैसी जी रहा हूँ मैं, अपनों से ही दूर हो रहा हूँ मैं। एक आग दहकती है इस सीने में, हर दिन उ... ज़िन्दगी ये कैसी जी रहा हूँ मैं, अपनों से ही दूर हो रहा हूँ मैं। एक आग दहकती है इ...
जीवन कैसा बनाएँ ? जीवन संघर्ष है इसलिए कि, निराशा को अपनी पहचान बनाया। जीवन कैसा बनाएँ ? जीवन संघर्ष है इसलिए कि, निराशा को अपनी पहचान बनाया।