|| AKHAND PRATAP SINGH || जब भी दर्द में होता हूँ कुछ लिखता हूँ कुछ रोता हूँ
सूखा पड़ा गुलाब जब आँसू से महका वीरान पड़ा आशिक तेरी यादों मे दहका सूखा पड़ा गुलाब जब आँसू से महका वीरान पड़ा आशिक तेरी यादों मे दहका
नशा मेरा करते हो, नशीली आँखों को कहते हो, मुझे पीकर ही तुम अपनी, मनचाही बातों को करते हो...! नशा मेरा करते हो, नशीली आँखों को कहते हो, मुझे पीकर ही तुम अपनी, मनचाही बातों को...
कल ही तो मिली हो, कोई ख़ास नहीं हो तुम, फिर ऐसा क्यों लगता है... कल ही तो मिली हो, कोई ख़ास नहीं हो तुम, फिर ऐसा क्यों लगता है...
हे कन्हैया बंसी बजैया, मुरली अपनी बजाओ ना...! हे कन्हैया बंसी बजैया, मुरली अपनी बजाओ ना...!
पंछी हूँ जो आसमान में उड़ने की ठानी है, उड़कर गिरना, उठकर उड़ना... मेरी यही कहानी है। पंछी हूँ जो आसमान में उड़ने की ठानी है, उड़कर गिरना, उठकर उड़ना... मेरी यही कहान...
वो माँ है जो खुद का पेट दबा कर मुझको भर पेट खिलाती थी वो माँ है जो खुद का पेट दबा कर मुझको भर पेट खिलाती थी
क्लास मे तुम्हें बात-बात पर , रूठने पर तुम्हें कई-कई बार मनाना, चुपके-चुपके तुम्हारी ज़ुल्फों को सहल... क्लास मे तुम्हें बात-बात पर , रूठने पर तुम्हें कई-कई बार मनाना, चुपके-चुपके तुम्...