I'm Naresh Singh and I love to read StoryMirror contents.
इसकी तृष्णा गहरी रखो, तभी जीवन भी सफल है इसकी तृष्णा गहरी रखो, तभी जीवन भी सफल है
अपनी अपनी कहानियों का सिलसिला हम यों ही जारी रखते हैं। अपनी अपनी कहानियों का सिलसिला हम यों ही जारी रखते हैं।
मेरा कच्चा मकान , मुझे रुला जाया करता था। मेरा कच्चा मकान , मुझे रुला जाया करता था।
मेरे होने का अहसास उन तक अपनी सुरीली चह चहाहट से पहुंचा देना, मेरे होने का अहसास उन तक अपनी सुरीली चह चहाहट से पहुंचा देना,
क्या औकात है तेरी, बता कितना टिक पाएगा, क्या औकात है तेरी, बता कितना टिक पाएगा,