None I wish to compose like Munshi Premchand.
मैं तुमसे डरता नहीं पर पीना चाहता हूं तेरे हाथों बनी गर्म चाय। मैं तुमसे डरता नहीं पर पीना चाहता हूं तेरे हाथों बनी गर्म चाय।
मित्र परिजन खुशी आएंगे चुटकुले और गप्पें मित्र परिजन खुशी आएंगे चुटकुले और गप्पें
रोज की ये भेंट तुमसे बिना कोई छाप छोड़ती यूं ही बिसर जाती आधी कही आधी सुनी बातें रोज की ये भेंट तुमसे बिना कोई छाप छोड़ती यूं ही बिसर जाती आधी कही आधी सुनी ब...
सुधी जनों के सुध न लेने पर चर्चाओं का बाजार गर्म था सुधी जनों के सुध न लेने पर चर्चाओं का बाजार गर्म था
और असहाय क्यों पड़ जाती है इस अपरिमित ऊर्जा के आगे और असहाय क्यों पड़ जाती है इस अपरिमित ऊर्जा के आगे
वयस्क सम्मुख से असुरक्षा में बहता है नित कुंठाओं में समाता पाया जाता है। वयस्क सम्मुख से असुरक्षा में बहता है नित कुंठाओं में समाता पाया जाता है।
योजनाओं को यथार्थ से अछूता रहते हुए समय को हाथ से निकलते हुए योजनाओं को यथार्थ से अछूता रहते हुए समय को हाथ से निकलते हुए