*poet *writer
हाँ मै लिखती हूँ सब कहते थे बचपन से बेकारी सी दिखती हूँ हाँ कंधो पर बोझ तो मेरे भी ह हाँ मै लिखती हूँ सब कहते थे बचपन से बेकारी सी दिखती हूँ हाँ कंधो पर बोझ...
कभी सोचा न था मुहब्बत मिल जाएगी किसी मोड़ पर वो रहनुमा मेरा मगर मुझसे ही जुदा मिला मेरी राहों में... कभी सोचा न था मुहब्बत मिल जाएगी किसी मोड़ पर वो रहनुमा मेरा मगर मुझसे ही जुदा मि...
ज़िन्दगी बीत गयी साहब सबूत और गवाह करते करते। ज़िन्दगी बीत गयी साहब सबूत और गवाह करते करते।
अब वो मुझसे ज़्यादा गैरों पर मरने लगा है उसके लिए मानो कब्रिस्तान रहा हूँ मैं अब वो मुझसे ज़्यादा गैरों पर मरने लगा है उसके लिए मानो कब्रिस्तान रहा हूँ मैं
राहों में ठोकरें तुम भी तो खाओगे राहों में ठोकरें तुम भी तो खाओगे
थोड़ा मैं तुझमें बिखरुं थोड़ा तुम मुझमें बिखर जाना ! थोड़ा मैं तुझमें बिखरुं थोड़ा तुम मुझमें बिखर जाना !
इंसानियत अब नज़र नहीं आती आज अपनी हिफाज़त ही दे दे ! इंसानियत अब नज़र नहीं आती आज अपनी हिफाज़त ही दे दे !