ढूंढ रही हूं मैं खुदका मुकाम
जब खून ही बने खून का प्यासा तो दुनिया के बचने की कैसी आशा जब खून ही बने खून का प्यासा तो दुनिया के बचने की कैसी आशा
किसी नाम की जरूरत नहीं किसी नाम की जरूरत नहीं
पर... ये क्या हो गया मेरे गांव को ? क्या हुआ उस नीम की छांव को! पर... ये क्या हो गया मेरे गांव को ? क्या हुआ उस नीम की छांव को!
अब भी मन मस्तिष्क पटल पे, यादें हैं जो सुनहरी सी अब भी मन मस्तिष्क पटल पे, यादें हैं जो सुनहरी सी
बिलखती हुई बेटी की सिसकती हुई अतड़ियां करती नहीं ज़िद खिलौनोंं की ! बिलखती हुई बेटी की सिसकती हुई अतड़ियां करती नहीं ज़िद खिलौनोंं की !
बहुत याद आते हैं मुझको वो पल जब खेला करते थे हम जी भर। बहुत याद आते हैं मुझको वो पल जब खेला करते थे हम जी भर।
ऐसे डॉक्टर्स और नर्सेज का, आओ मिलकर करे सम्मान। ऐसे डॉक्टर्स और नर्सेज का, आओ मिलकर करे सम्मान।