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फिर मैं क्या करूँ ? बताओ ना। मुझे लाभ नहीं हो रहा है।" फिर मैं क्या करूँ ? बताओ ना। मुझे लाभ नहीं हो रहा है।"
सेठजी भी उसकी पीठ थपथपाकर शाबाशी दे देते थे सेठजी भी उसकी पीठ थपथपाकर शाबाशी दे देते थे
ये हमारी आखिरी मुलाकात है। मैं बलिदान पथ पर जा रही हूँ। ये हमारी आखिरी मुलाकात है। मैं बलिदान पथ पर जा रही हूँ।
तभी वह आतंकियों के द्वारा बैंक में जाकर गोलियाँ बरसाने की खबर से चौंक गयी। तभी वह आतंकियों के द्वारा बैंक में जाकर गोलियाँ बरसाने की खबर से चौंक गयी।
श्रद्धा और विश्वास की हमेशा जीत होती है।" श्रद्धा और विश्वास की हमेशा जीत होती है।"
कमलादेवी बहू के अप्रत्याशित व्यवहार से चुप रह गयी। कमलादेवी बहू के अप्रत्याशित व्यवहार से चुप रह गयी।