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हवा बसंती हो गई बिखर गए है रंग बिना पिए ही लग रहा चढ़ा हो जैसे भंग।। हवा बसंती हो गई बिखर गए है रंग बिना पिए ही लग रहा चढ़ा हो जैसे भंग।।
भूल चुके हो तुम कि हममें भी जान है। भूल चुके हो तुम कि हममें भी जान है।
लेकिन, उन कुछ ही पलों में वो मेरे अपने होने का अहसास करा जाते थे और ये दर-ओ-दीवार लेकिन, उन कुछ ही पलों में वो मेरे अपने होने का अहसास करा जाते थे और...
तेरे संग मेरा हर सपना टूट गया तेरे संग मेरा हर सपना टूट गया
पिता है बरगद, पिता है बरगद,
आने वाले सफ़र के लिए फिर चल पडूँ अपनी मंजिल की ओर। आने वाले सफ़र के लिए फिर चल पडूँ अपनी मंजिल की ओर।
क्योंकि मुझे उन्हें है बताना कि हर बार जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वह अक्सर दिखाई नही... क्योंकि मुझे उन्हें है बताना कि हर बार जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है...