I'm प्रवीण कुमार and I love to read StoryMirror contents.
इस कदर वो हमसे रूठे हैं सनम क्या बताएं तुम्हें ओ रहगुजर! इस कदर वो हमसे रूठे हैं सनम क्या बताएं तुम्हें ओ रहगुजर!
नश्वर तो मैं हूँ ही फिर कैसी ये फिक्र? नश्वर तो मैं हूँ ही फिर कैसी ये फिक्र?
इस तरह मेरी कविता पूरी हो गयी लेकिन लय बिगड़ गयी। इस तरह मेरी कविता पूरी हो गयी लेकिन लय बिगड़ गयी।
मोक्ष भी आसान हो जाता है अगर हृदय हो जाये अवधूत। मोक्ष भी आसान हो जाता है अगर हृदय हो जाये अवधूत।
जब मिलेंगे हम तुम नदी केे उस पार जवां दिलों में होगी खुशी अपार। जब मिलेंगे हम तुम नदी केे उस पार जवां दिलों में होगी खुशी अपार।