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फूल भी महकना जरा संभल-संभलकर फूल भी महकना जरा संभल-संभलकर
बहेगी खुशबू जब फूलों से, फलों की आएगी बारी। टेसू खिलेंगे फिर वन-उपवन, छाएगी अनुपम छट बहेगी खुशबू जब फूलों से, फलों की आएगी बारी। टेसू खिलेंगे फिर वन-उपवन, छ...
भूमिका और सारांश भूमिका और सारांश
सबके अपने होंगे, जब ! पहल हो निःस्वार्थ सेवार्थ क्रांति की। सबके अपने होंगे, जब ! पहल हो निःस्वार्थ सेवार्थ क्रांति की।
झूमती काली घनघोर घटायें उसके चंचल मन की व्यथा कहें इस मौसम में आंधी संग है बरखा देती है ... झूमती काली घनघोर घटायें उसके चंचल मन की व्यथा कहें इस मौसम में आंधी संग ...