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वहीं कहीं पास रखी पूजा की थाली का चुपके से मुस्कुरा पड़ना वहीं कहीं पास रखी पूजा की थाली का चुपके से मुस्कुरा पड़ना
तेरे पिता की इच्छा थी मैं रहूँ, ‘रिज़र्व-बैंक’ की तरह, सदा तेरे संग...! तेरे पिता की इच्छा थी मैं रहूँ, ‘रिज़र्व-बैंक’ की तरह, सदा तेरे संग...!
ये कविता पिता और परिवार के रिश्तों का आयना है । ये कविता पिता और परिवार के रिश्तों का आयना है ।
रास्ते की ठोकरों ने, इतना तो तज़ुर्बा, दे ही दिया है मुझे...! रास्ते की ठोकरों ने, इतना तो तज़ुर्बा, दे ही दिया है मुझे...!
'तुम्हारी मोहब्बत मुझसे नहीं, मेरे ज़िस्म के उन हिस्सों से है, जिन्हें तुम देखना चाहते हो ।' रिश्ता द... 'तुम्हारी मोहब्बत मुझसे नहीं, मेरे ज़िस्म के उन हिस्सों से है, जिन्हें तुम देखना ...
इस क़दर चुप लगाते हुये कि, खुद से भी बात करने की, हिम्मत नहीं पड़ती । इस क़दर चुप लगाते हुये कि, खुद से भी बात करने की, हिम्मत नहीं पड़ती ।
सैकड़ों आँसू यूं ही नहीं खज़ाने में मेरे,जब भी कोई रोता है, उसके आंसू बटोर लाता हूँ. सैकड़ों आँसू यूं ही नहीं खज़ाने में मेरे,जब भी कोई रोता है, उसके आंसू बटोर लाता हू...
बढ़ती उम्र ,मायने अलग,सामने जगह पाती ,पुरानी होती शराब . पिछ्वाड़े से भी पीछे धकेला जाता ,बूढ़ा बाप... बढ़ती उम्र ,मायने अलग,सामने जगह पाती ,पुरानी होती शराब . पिछ्वाड़े से भी पीछे ध...
“ चटाख”....... फिर एक शीशा दरक़ा , हो गयी सुबह , आ कर , इस पत्थर ने बताया “ चटाख”....... फिर एक शीशा दरक़ा , हो गयी सुबह , आ कर , इस पत्थर ने बताया
मुर्दा मज़ारों , इबादत-ख़ानों की मरमरी दीवारों , समाधी के पत्थरों , अरे !! चूमने की तुम्... मुर्दा मज़ारों , इबादत-ख़ानों की मरमरी दीवारों , समाधी के पत्थरों , ...