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रोजमर्रा के कामों का कर लो ध्यान, बचा लो अपनी धरती की पहचान। रोजमर्रा के कामों का कर लो ध्यान, बचा लो अपनी धरती की पहचान।
हिंदी से ही परिभाषित होता है हिंदुस्तान l हिंदी से ही परिभाषित होता है हिंदुस्तान l
वर्तमान युग की उधेड़बुन में जी रही हूँ यादगार लम्हों संग। वर्तमान युग की उधेड़बुन में जी रही हूँ यादगार लम्हों संग।
विकास के नाम पर हम बहुत कुछ कर गए नहीं आते अब विचार कोई नए. विकास के नाम पर हम बहुत कुछ कर गए नहीं आते अब विचार कोई नए.
नारी सुंदर सपन है, नारी निर्मल मन है। नारी सत्य दर्पण है, नारी सर्वस्व अर्पण है। नारी सुंदर सपन है, नारी निर्मल मन है। नारी सत्य दर्पण है, नारी सर्वस्व अर्पण...
चलना सांस लेना भी मुहाल है, जैसे मौत का कुआँ। चलना सांस लेना भी मुहाल है, जैसे मौत का कुआँ।
मगर दोस्तों आशाएं काम आएँगी दवाएं काम आएँगी होगा कि हम गफलत से बाहर आए मगर दोस्तों आशाएं काम आएँगी दवाएं काम आएँगी होगा कि हम गफलत से बाहर आए