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तेरी बांहों के आगोश में किसी गैर को देखते रहे तेरी बांहों के आगोश में किसी गैर को देखते रहे
ख्वाहिश कोइं अब जिंदा नहीं जान भी अब मुख्तसर सी है! ख्वाहिश कोइं अब जिंदा नहीं जान भी अब मुख्तसर सी है!
माफ़ करना अभी मेरा घर बहुत दूर है इस तूफान से अभी मुझे खतरा नहीं। माफ़ करना अभी मेरा घर बहुत दूर है इस तूफान से अभी मुझे खतरा नहीं।
'कटेगा वक्त बहती नदी सा नाकामी की सोच दूर कर आशाओं की नई प्रभात अंधेरे के फैसले चूर कर।' एक प्रेरणा... 'कटेगा वक्त बहती नदी सा नाकामी की सोच दूर कर आशाओं की नई प्रभात अंधेरे के फैसले...
मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...! मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...!