मेरी कविता लिखने में बहुत रुचि है और मैं काफी अरसे से कविता के सागर में गोते लगा रहा हूं. मेरी दो पुस्तक भी लोगो के दिल पर राज कर रही हैं कवि आदेश
आज के परिवेश में इंसान को इंसानियत की परिभाषा बताने वाली कविता आज के परिवेश में इंसान को इंसानियत की परिभाषा बताने वाली कविता
बनाके दिल में तेरे घर रहने की तमन्ना है तुम मेरे हो बस ! मेरे हो ! - कहने की तमन्ना है ! बनाके दिल में तेरे घर रहने की तमन्ना है तुम मेरे हो बस ! मेरे हो ! - कहने की ...
खाकी वर्दी तेरी मनमर्जी ढाती जुर्म हजार है ए कैसा अत्याचार है ए कैसा भ्रष्टाचार है ! खाकी वर्दी तेरी मनमर्जी ढाती जुर्म हजार है ए कैसा अत्याचार है ए कैसा भ्रष्टाचार ...
दरिन्दगी भर गयी है खून में हैवान कर रहे अत्याचार... दरिन्दगी भर गयी है खून में हैवान कर रहे अत्याचार...