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हर मौसम में ख़ुद का अपमान होते देखा है हमने। हर मौसम में ख़ुद का अपमान होते देखा है हमने।
घर पर माँ इंतज़ार कर रही होगी चलो आज घर थोड़ा वक़्त पर चलते हैं। घर पर माँ इंतज़ार कर रही होगी चलो आज घर थोड़ा वक़्त पर चलते हैं।
भस्म कर दो वो अतीत के काले पन्ने जो तुम्हें कुछ नया लिखने, सोचने, करने से विवश करते है भस्म कर दो वो अतीत के काले पन्ने जो तुम्हें कुछ नया लिखने, सोचने, करने से विवश...
तेरा इंतज़ार आज भी है तू खिड़की से ज़रा पर्दा सरका के तो देख तेरा इंतज़ार आज भी है तू खिड़की से ज़रा पर्दा सरका के तो देख
सूरज की धूप सा था नया सवेरा बना लिया। सूरज की धूप सा था नया सवेरा बना लिया।
मुकाम हासिल होगा या सिर्फ़ मुसाफिर रह जाउँगा। आखिर जिन्दगी किस ओर जा रही है। मुकाम हासिल होगा या सिर्फ़ मुसाफिर रह जाउँगा। आखिर जिन्दगी किस ओर जा रही है।