बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक है.... अधिकांश पढ़ना और कभी कुछ लिख देने का प्रयास मात्र हैं मेरी रचनाएं... और क्या कहूँ अपने बारे में...आप कुछ कहिएगा तो अच्छा लगेगा।
जब जब सोचा डर के निकला कुछ अलग से॥ जब जब सोचा डर के निकला कुछ अलग से॥
झूठी तसल्ली झूठे वादे, पढ़ेगा यह संसार लिखूँगा... झूठी तसल्ली झूठे वादे, पढ़ेगा यह संसार लिखूँगा...
जाने कब से मन बोझिल था नहीं कभी कह पाया बातचीत का यह अवसर भी बहुत दिनों पर आया जाने कब से मन बोझिल था नहीं कभी कह पाया बातचीत का यह अवसर भी बहुत दिनों...
मन मसोस कर रह जाता हूँ कैसे कितना यार सहूँ मन मसोस कर रह जाता हूँ कैसे कितना यार सहूँ
छोटुआ! क्या कर रहा है रे साला ??? छोटुआ! क्या कर रहा है रे साला ???
जिसने बनाया उसी ने मिटाया पेंसिल थी उसकी रबर भी उसी का समय की शिला पर सभी कुछ लिखा है जिसने बनाया उसी ने मिटाया पेंसिल थी उसकी रबर भी उसी का समय की शिला पर सभी ...
ठहर गई थी ज़िन्दगी, ऐसे मुकाम पर। हर कोई ज्यों कह रहा, कि इंतजार कर।। ठहर गई थी ज़िन्दगी, ऐसे मुकाम पर। हर कोई ज्यों कह रहा, कि इंतजार कर।।