कहानियां दो होती है एक जो हम सुनाना चाहते है और दूसरी वो जो हम लोगो को सुनाते है ...
आज दिखी थी तुम उस सुबह वाली मेट्रो में आज दिखी थी तुम उस सुबह वाली मेट्रो में
आज लोग लगे है आगे बढ़ने की होड़ में बन रहे है मशीनें। आज लोग लगे है आगे बढ़ने की होड़ में बन रहे है मशीनें।
किसी तारे को जो मिलो दूर बैठे लड़ रहा होता है खुद को ही खुद से आज़ाद करने की जंग। किसी तारे को जो मिलो दूर बैठे लड़ रहा होता है खुद को ही खुद से आज़ाद करने की जंग।
मैं उस रोज खो चुका था खुद और दुनिया को कहानियां सुनाते - सुनाते खुद एक किस्सा बनकर। मैं उस रोज खो चुका था खुद और दुनिया को कहानियां सुनाते - सुनाते खुद एक किस्सा बन...
. एक अनछुए ख्वाब की तरह.... जिसे देखता तो रोज हूँ . एक अनछुए ख्वाब की तरह.... जिसे देखता तो रोज हूँ