"मौन में शक्ति है और पढ़ने में मुक्ति है."
अपनों की अनगिनत ग़लतियों का पिटारा समझ छोड़ा, आत्मा की अभिव्यक्ति का क्या? अपनों की अनगिनत ग़लतियों का पिटारा समझ छोड़ा, आत्मा की अभिव्यक्ति का क्या?
सब तो जी रहे ही हैं, वक़्त नहीं ठहर गया। सब तो जी रहे ही हैं, वक़्त नहीं ठहर गया।
उन अफसानों को पढ़कर आज रोना आया आज फिर तेरी याद आयी। उन अफसानों को पढ़कर आज रोना आया आज फिर तेरी याद आयी।
हां, इन अंधेरों के उस पार भी एक सवेरा है। हां, इन अंधेरों के उस पार भी एक सवेरा है।
जब बूंद चुप ना सोया है, फिर तू क्यों बंद आंख से रोया है ? जब बूंद चुप ना सोया है, फिर तू क्यों बंद आंख से रोया है ?
अंदर था एक टूटा हुआ इंसान और टूटा हुआ घर। अंदर था एक टूटा हुआ इंसान और टूटा हुआ घर।
उसी पेड़ की सेवा में हम पीछे रहते हैं जिस पेड़ की वजह से हम जीवित रहते हैं। उसी पेड़ की सेवा में हम पीछे रहते हैं जिस पेड़ की वजह से हम जीवित रहते हैं।