अर्थशास्त्र से पीएचडी की हूँ।सोंच के सागर में गोते लगाकर शब्दों को सांचे में ढालना बहुत अच्छा लगता है।
मत छुपाओ मेकअप से जख्मों के निशान ओ नारी.... मत छुपाओ अब मेकअप से जख्मों के निशान, मत छुपाओ मेकअप से जख्मों के निशान ओ नारी.... मत छुपाओ अब मेकअप से जख्मों के नि...
मेरी माँ से मैं था मैं फिर से चालीस साल पहले का बच्चा बन गया। मेरी माँ से मैं था मैं फिर से चालीस साल पहले का बच्चा बन गया।
क्यों हम सताएं किसी को? क्यों हम रुलाएं किसी को? क्यों हम सताएं किसी को? क्यों हम रुलाएं किसी को?