अर्थशास्त्र से पीएचडी की हूँ।सोंच के सागर में गोते लगाकर शब्दों को सांचे में ढालना बहुत अच्छा लगता है।
हर काली,घनी,अंधेरी रातों की सुनहरी सुबह जरूर होती है।