हिन्दी काव्य लेखन में रूचि।
क्या कोई भी निदान नहीं इस मर्ज की किताब नहीं क्या कोई भी निदान नहीं इस मर्ज की किताब नहीं
ये जमाना है तुम्हारा हर खुशी है तुम्हारी। ये जमाना है तुम्हारा हर खुशी है तुम्हारी।
जिन्दगी रास आएगी तुमको भी कभी नदी को देखो मिलकर मिटते हुए। जिन्दगी रास आएगी तुमको भी कभी नदी को देखो मिलकर मिटते हुए।
इस बे-नूर सी जिन्दगी का ठिकाना नहीं है। इस बे-नूर सी जिन्दगी का ठिकाना नहीं है।