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Surya Barman

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Surya Barman

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जय माँ आदिशक्ति

जय माँ आदिशक्ति

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नवरात्रि के तृतीय दिवस को ,

तृतीय रूप चन्द्रघंटा हैं पूज्य ।


माँ आदिशक्ति दुर्गे व भवानी ,

सारे नाम आदिशक्ति में युज्य ।।


जय जय माँ आदिशक्ति भवानी ।

तुम्हीं जगजननी तू ही महारानी ।।


तुम्हीं सरस्वती शारदे वीणापाणि ।

तू ही त्रैलोक्य की माँ कल्याणी ।।


तुम्हीं से रक्षित ये सारे हैं प्राणी ।

तुम्हीं से रक्षित है मृदुल वाणी ।।


तुम्हीं हो लक्ष्मी अन्न धन दाता ।

तुम ही माता नहीं होती कुमाता ।।


जय जय जय जय दुर्गा माता ।

दरश नित्य दे दो माँ होते प्राता ।।


तृतीय रूप है चन्द्रघंटा तुम्हारी ।

पूरण करो मनोकामना हमारी ।।


जय जय माते जय हो जग देवी ।

अपनी चरण का बना लो सेवी ।।


जय माँ चन्द्रघंटा तेरी ही जय हो ।

पापी छली की सदा ही क्षय हो ।। 


बजता रहे विश्व में चन्द्ररूपी घंटा।

दुष्कर्मियों की माँ तू ही है हन्ता ।।


जय जय माँ चन्द्रघंटा महारानी ।

ज्ञान बुद्धि विद्या दे बना दे ज्ञानी।।


तू ही ज्ञान बुद्धि विद्या की है दातृ।

मुझपर कृपा करो हे मम मातृ ।।


जय जय जय हे दशभुजी माता ।

करता मैं वंदन जैसे मुझे आता ।।


सिंह सवारी पराक्रमी है जातक ।

तेरी कृपा उपासना करे उपासक।।


करता रहूँ नित्य मैं तुम्हें प्रणामा ।

सुखमय शान्ति रहे डुमरी ग्रामा ।।


बुद्धि विचार विद्या वाणी भी देहू ।

ईर्ष्या द्वेष दुर्बुद्धि वापस तू लेहू ।।


कृपा करो जय चन्द्रघंटा मईया ।

डुमरी ग्राम रखो अपने तू छईयाँ।।


अरुण दिव्यांश की सुन लो माते ।

नत मस्तक नमन करते अघाते ।।


माँ आदिशक्ति हर रूप में ,

देती रहें माँ सबको आशीष ।


कर जोड़ी सदा नमन करें ,

मिलता रहे सदा बख्शीश ।।



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