जय माँ आदिशक्ति
जय माँ आदिशक्ति
नवरात्रि के तृतीय दिवस को ,
तृतीय रूप चन्द्रघंटा हैं पूज्य ।
माँ आदिशक्ति दुर्गे व भवानी ,
सारे नाम आदिशक्ति में युज्य ।।
जय जय माँ आदिशक्ति भवानी ।
तुम्हीं जगजननी तू ही महारानी ।।
तुम्हीं सरस्वती शारदे वीणापाणि ।
तू ही त्रैलोक्य की माँ कल्याणी ।।
तुम्हीं से रक्षित ये सारे हैं प्राणी ।
तुम्हीं से रक्षित है मृदुल वाणी ।।
तुम्हीं हो लक्ष्मी अन्न धन दाता ।
तुम ही माता नहीं होती कुमाता ।।
जय जय जय जय दुर्गा माता ।
दरश नित्य दे दो माँ होते प्राता ।।
तृतीय रूप है चन्द्रघंटा तुम्हारी ।
पूरण करो मनोकामना हमारी ।।
जय जय माते जय हो जग देवी ।
अपनी चरण का बना लो सेवी ।।
जय माँ चन्द्रघंटा तेरी ही जय हो ।
पापी छली की सदा ही क्षय हो ।।
बजता रहे विश्व में चन्द्ररूपी घंटा।
दुष्कर्मियों की माँ तू ही है हन्ता ।।
जय जय माँ चन्द्रघंटा महारानी ।
ज्ञान बुद्धि विद्या दे बना दे ज्ञानी।।
तू ही ज्ञान बुद्धि विद्या की है दातृ।
मुझपर कृपा करो हे मम मातृ ।।
जय जय जय हे दशभुजी माता ।
करता मैं वंदन जैसे मुझे आता ।।
सिंह सवारी पराक्रमी है जातक ।
तेरी कृपा उपासना करे उपासक।।
करता रहूँ नित्य मैं तुम्हें प्रणामा ।
सुखमय शान्ति रहे डुमरी ग्रामा ।।
बुद्धि विचार विद्या वाणी भी देहू ।
ईर्ष्या द्वेष दुर्बुद्धि वापस तू लेहू ।।
कृपा करो जय चन्द्रघंटा मईया ।
डुमरी ग्राम रखो अपने तू छईयाँ।।
अरुण दिव्यांश की सुन लो माते ।
नत मस्तक नमन करते अघाते ।।
माँ आदिशक्ति हर रूप में ,
देती रहें माँ सबको आशीष ।
कर जोड़ी सदा नमन करें ,
मिलता रहे सदा बख्शीश ।।