Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बारिश

बारिश

5 mins
14.8K


आज शाम को जब ऑफिस से निकल रहा था तो एकाएक बादलों की तरफ़   नज़र गई  तो ऐसा लगा की शायद जम के बारिश होने वाली है ऑफिस से बाहर आकर जब गाड़ी को हाई वे पर डाला तो बारिश की बूँदों ने तन को भिगोना चालू कर दिया इससे पहले की कुछ और सोच पाता बारिश एकदम से तेज़  हो गई  पानी की फुहारें मन को आराम दे रही थी…

.पानी की टप टप करती हुई बूँदें जब सड़क पर पड़ने लगी तो उस पर जमी हुई धूल भी बह कर साफ़ होने लगी और इसी के साथ जेहन में अचानक से तुम याद आ गऐ  बारिश की बूँदें  शायद मेरे एहसासों पर पड़ी वक़्त  की गर्द को धोने लग गई  थी भूला हुआ सा कोई शख़्स  फिर से याद आने लग गया था…

भावनायें जब मन से उमड़ चली तो आँखों के रस्ते धीरे धीरे करके बहने लग गई ….

बारिश ने भी तेजी पकड़ ली थी और अंतर मन में छिपे यादों के सेलाब ने भी उसका साथ देते हुए ज़ोर से बरसना चालू कर दिया…

 गाड़ी को रोड के साईड में उतार कर स्टैंड पर लगा दिया और बैठ गया सीट पर ये सोच कर कि बारिश के साथ साथ अब कुछ पुराने सी यादों के ख़ूबसूरत से एहसास में भी भीग लेता हूँ क्या पता फिर फुर्सत मिले न मिले..

 बाहर की बारिश तन को भिगो रही थी और अंदर कहीं तुमसे जुड़ी यादों की बारिश मन को बड़े गहरे से भिगोने लग गई  अचानक से याद आ गया वो लम्हा जब पहली बार तुम मेरे साथ लांग ड्राइव पर गई  हुई थी और यूँ ही अचानक से बारिश आने लग गई  मै गाड़ी को कही शेड में खड़ी करने के लिए सोच ही रहा था पर तुमने कहा कि रहने दो बस यूँ ही ड्राइव करते रहो मुझे बारिश में भीगना बहुत पसन्द है.. 

अच्छा इतना फ़िल्मी होने की क्या ज़रूरत है? जब मेरा हीरो मेरे साथ हो तो ज़ाहिर सी बात है कि मेरा फ़िल्मी होना लाज़मी हो जाता है न। हमेशा की तरह तुमने अपने उत्तर से मुझे लाजबाब कर दिया था… 

बारिश ज़ोरों से हो रही थी और मैने गाड़ी रोड के साइड में लगा दी गाड़ी से उतर कर तुम अपनी बाहों को फैला कर बारिश की बूँदों को अपने आगोश में समेटने की कोशिश करने लग गई  थी अरे सुनो तुम्हें  ऐसा करते देख कर कुछ लाइन तुम पर बना कर सुनाना चाहता हूँ….

शायर महोदय अभी बारिश के मज़े लो जब देखो तब तुमको शायरी ही सूझती रहती है…. 

.देख लेना एक दिन यही शायरी मेरी पहचान बनेगी। हाँ ठीक है न मैं भी आ जाऊँगी ऑटोग्राफ लेने ठीक है अब तो ख़ुश   हो न…?? 

हाँ ख़ुश बहुत ख़ुश  …. सुनो वो चाय की दुकान पर चलते है न चाय पियेंगे तो कुछ राहत मिल जायेगी। चाय पीते-पीते मैं तुम्हें देख रहा था बारिश में भीग कर तुम्हारे बाल उलझ से गऐ थे और तुम उनको सुलझाने की कोशिश में लगी हुई थी…

 रहने दो न बारिश की बूँदें तुम्हारे बालो में उलझी हुई अच्छी दिख रही है…

 हाँ हाँ तुम्हें  तो हर चीज़  अच्छी लगती है। मेरी एक बात का जबाब दोगी??  हाँ बोलो न!! राह चलते चलते अगर हम तुम बिछड़ गऐ  तो क्या तुम मुझे इसी तरह याद रखोगी??  इससे पहले मै कुछ और बोल पाता तुम्हारी उँगलियाँ मेरे होंठो पर लग कर मेरी ज़ुबान को ख़ामोश कर चुकी थी। क्या हो गया है तुमको ये कैसी बहकी बहकी सी बात करने लगे हो? नहीं बस यूँ ही पूछ रहा था? अरे बाबा मैं  तुमको छोड़कर कही नहीं जाने वाली हूँ!! समझे तुम? अगर चली गई  तो? चली भी गई  तो हरदम तुम्हारी यादों में एक ख़ूबसूरत सा एहसास बन कर रहूँगी तुम्हें  जब भी अकेला देखूँगी तन्हा देखूँगी झट से भाग कर तुम्हारे ज़ेहन में आ जाऊँगी…तुम्हें  कभी भी अकेला नही छोड़ूँगी…

 देख लेना एक दिन कभी यूँ ही बादल बरसेगा और मै फिर से बूँदों में बदल कर तुमसे लिपट जाऊँगी.और तुम फिर से एक बार मेरे एहसासों से अंदर तक भीग जाओगेँ…

 सच कहा था तुमने आज फिर से बादल बरस रहे है और मैं भी जम के उन यादों में भीग रहा हूँ क़तरा क़तरा उन एहसासों को महसूस कर रहा हूँ जो अब बस मेरे प्यार की आखिरी अमानत बन के रह गई  है,भीगी पलकों के साथ जी रहा हूँ तन्हा सा उन ख़ूबसूरत से पलों को जिनमें कभी तुम रहा करती थी और वो पल जो शायद तुम मेरे पास भूल कर चली गई  हो.. मुझे मालूम है कि मेरी आवाज़ तुम तक अब नहीं पहुँच पाती है लेकिन फिर भी अभी एक लाइन जो जेहन में बन पड़ी है तुमको समर्पित करके सुना देता हूँ। "मेरे दिल की सूखी पड़ी इस ज़मीन को सोचकर दूर कही तुमने अपनी जुल्फों में उलझे हुऐ पानी को निचोड़ा होगा….

ये बादल जो इतनी शिद्दत से मेरे ऊपर बरस रहा है ज़रूर इसमें कहीं तेरे प्यार का ही बोसा होगा…."

 यक़ीन मानों तुम्हारी यादों में भीग जाने के ही डर से मै बारिशों में बाहर नहीं निकलता हूँ कही फिर से तुम न बरसने लगो मेरे ज़ेहन में आकर इसलिऐ बारिश आने पर शेड के अंदर ही रहता हूँ….तुम्हारे बिना ये बूँदें ज़हर सी लगती है…

 बारिश थम चुकी है पर तुम्हारी यादों के छींटे मन को अभी भी भिगो रहे है।आँखों से हो रही बरसात भी अब रुक सी चुकी है… बारिश क्या आई आज फिर से तुम याद आ गऐ  पलकें ज़रूर भीग गई  पर अच्छा लगा कुछ पल तुम्हारी यादों के साथ गुज़ार कर और फिर से ये विश्वास भी पुख़्ता हो गया कि अब भी तुम मेरे दिल धड़कन और मन मन्दिर में पहले की तरह रची बसी हुई हो उसी कवि की सुंदर कल्पना के रूप जो गाहे बेगाहे उसकी रचना के रूप में बाहर आ ही जाती है।बहुत कुछ छूट गया है पीछे यूँ सफ़र में भागते भागते पर अब भी तुम दिल के किसी कोने में बाक़ी हो और इसी तरह मौक़ा मिलने पे मुलाक़ात करने आ जाती हो… 

आज फिर से भीग गया उन यादों की बारिश में जो कभी कभी आती है पर मन को बेहद सुक़ून और आराम देकर चली जाती है। कभी कभी यूँ ही फुर्सत निकाल कर बारिश बन के आ जाया करो तपते हुऐ इस मन को बड़ा आराम मिल जाता है। अंत में बस इतना ही कहूँगा… 

"तेरी यादों की बारिश ने यूँ भिगोया है मेरा मन भी आज जी भर के रोया है तूने जाकर फिर एक बार भी ना सोचा क्या तूने पाया और क्या मैंने खोया है."

 

 

 


Rate this content
Log in