"राजनीति आज की "
"राजनीति आज की "
ये है राजनीति,हर देश की रीति ,
जो फँस गया, समझो निगल गई ।
होते हैं जो अच्छे नेता ,
बना के रख देती है बुरा ।
आते हैं कई होनहार ,
बना देती है बेजान मूर्ति ।
अच्छे भी, महान भी ,
सीखा देती हैं धोखाधड़ी ।
होते हैं खड़े चुनावों मेँ ,
मुझे दो वोट, मुझे दो वोट ,
हम ये करेंगे, हम वो करेंगे ,
मिल जाती है कुर्सी जब ,
जिन्होंने वोट डाला ,
जिन्होंने कुर्सी पर बिठाया ,
भूल जाते हैं सब ।
खा खा कर जनता का पैसा ,
कर लेते हैं ख़ुद को मालामाल ,
गर फँसते हैं घोटाले में ,
छूट जाते हैं झूठ कहकर ,
निकल जाते हैं बहाने बनाकर,
जब नेता लोग ही हो ऐसा,
होगा देश का हाल कैसा !
कर लो यहाँ जितनी भी करनी मनमानी ,
लेकिन उसकी भी है एक अदालत ,
जहाँ सुना जाता है सिर्फ़ सत्य ,
और काटनी पड़ती है पूरी सज़ा ।