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बसंत पंचमी

बसंत पंचमी

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गगन मेँ चारों तरफ उमड़ी काली घटाएं
वादियों में गीत गाते झूम रही मंद हवाएं 
शाखाओं पर विकसित होने को हैं कोपलें
वातावरण में खुशबू भरने आ रही बहारें 
गुमसुम होकर बादलों में सूर्य ठहर गया
बूँदें बरस के प्रकृति की लहरा रही बाहें 
उड़ के पंछी हवाओं का लुत्फ उठा रहे
गीतों से चहक उठी हर कोने की दिशाएं 
होने को हैं भंवरे पखुडियों के दीवाने
हम भी वाटिकाओं में कुछ पुष्प लगाएं 
खुशबूओं से महकाये वातावरण को बसंत
सरसों के फूलों का एक छोटा घर बनाएं


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