बस इतनी सी बात है
बस इतनी सी बात है
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आँय-बाँय बकना सुहाता नहीं
दाएँ-बाएँ करना आता नहीं
टन-टन बोली नहीं
खन-खन झोली नहीं
दना-दन चाल नहीं
ठना-ठन हाल नहीं
पर मैं ठन-ठन गोपाल नहीं !
दे दनादन दे मारूँ
सबकी आरती उतारूँ
इतनी मोटी खाल नहीं
हर बाज़ी जीत लूँ
इतना कमाल नहीं
हर बाज़ी हार जाऊँ
ये भी सवाल नहीं
जीने के लिए जो चाहिए
जुटाता हूँ
इससे अधिक चैन अपना
नहीं गँवाता हूँ
इसके आगे
मेरे बूते की बात नहीं
इससे अधिक चाहूँ
मेरी औकात नहीं
मेरी तो बस इतनी-सी बात है
इसके आगे कोई बात नहीं ।