खूबसूरती
खूबसूरती
मासूम से चेहरे का इक कोना दुपट्टे से छुपाकर,
आहिस्ता-आहिस्ता आँखों से ना मुस्कुराया कीजिए।
नज़र लग जाएगी आपको आपके काजल की ही,
इतनी खूबसूरती से अपनी खूबसूरती ना दिखाया कीजिए।
टूट जाएगा बेचारा जिसे देखकर आप सजती संवरती हो,
माहज़बीन1 आइने के आगे इतना वक़्त ना बिताया कीजिए।
ज़रूरत से ज्यादा रोशनी निगाहों को नुक्सान करती है,
आपका नूर शम्मा2 जैसा है साथ दिया ना जलाया कीजिए।
तितलियाँ फूलों की खूशबू भूलकर आपके पीछे आती हैं,
आप खुद गुलाब हो और उस पर इत्र3 ना छिड़काया कीजिए।
छाता लेकर निकलती हो धूप में वो देख नहीं पाता,
इकलौते सूरज को अन्दर ही अन्दर ना जलाया कीजिए।
गिर जाएंगें परिंदे आसमानों से अपनी परवाज़4 खोकर,
खुली फ़िज़ाओं में अपनी घनी ज़ुल्फ़ें ना सुखाया कीजिए।
कोयलों ने सोच समझकर मधुमक्खियों से शहद मंगवाया है,
अपनी मिठी आवाज़ का जादू हर शै5 पर ना चलाया कीजिए।
दीवानी रातों को उठ-उठकर आपका ही ज़िक्र करती रहती,
अशीश की कलम को हर पल यूं ही ना बहकाया कीजिए।
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