संत मुक्ताबाई
संत मुक्ताबाई
चार भावडांत |शोभे मुक्ताबाई|
झाली त्यांची आई| सदोदित||
अहंकारी होई |चांगदेव गर्व|
तोडीयेला सर्व | गुरू केले||
अभंग ताटीचे |नीती ज्ञानबोध|
लोकांचा विरोध| तरी शांत||
ज्ञानी व्यक्तिमत्व |वात्सल्याची मूर्ती |
सर्वदूर किर्ती| कर्तुत्वाने||
अभंग सुंदर |ओव्या अर्थपूर्ण|
जीवन संपूर्ण |प्रतिमान||
प्रेमे पाठीवर | मांडे बनविसी|
लोका करविसी| प्रबोधन||
दिव्यत्व प्रचिती |तापी नदी काठी |
संसाराच्या गाठी| सोडीयेल्या
सरस्वती हस्त |विचारांची व्याप्ती|
आत्मज्ञान प्राप्ती|अनुग्रहे||
आध्यात्मिक ज्ञान| सर्वोत्तम स्थान|
अजूनही मान |जन मनी||
मेहून हो गाव |समाधिस्थ होई|
संत मुक्ताबाई |पुण्यवान||