बजरंग बली
बजरंग बली
चैत्र पौर्णिमेला| अंजनी उदरी|
दिव्य अवतरी| शिव अंश|||
रूप घेई कार्या| सूक्ष्म नि विक्राळ|
दुष्टांचा तो काळ| महारुद्रा ||||
भूक लागताच| सूर्याला धराया|
उड्डाण कराया |तत्परता||||
सुर्य प्राशियेता| झाला अंधकार|
वज्राचा प्रहार |इंद्र करी||||
तेणेची जाहले |शक्ती विस्मरण|
पुनश्च स्मरण | राम कार्या||||
गिरीस धारण |प्राप्त संजीवनी|
भक्तीस जीवनी |उच्च स्थान|||
तेजस्वी स्वरूप| ज्ञानी कृपावंत|
भक्त भगवंत |दिव्य नाते||||
राम नाम जप |सदाही मनात|
वसे हृदयात |सर्व काळ||||
बजरंग बली |वज्रहनुमान |
बहु शक्तिवान |जितेंद्रिया||||
महापराक्रमी |केसरी नंदन|
करीते वंदन |वर्षा तुम्हा ||||