पति का शीश गोद में लेकर सुलोचना चिता पर बैठी। पति का शीश गोद में लेकर सुलोचना चिता पर बैठी।
आखिर आज वह अपने बेटे के साथ बंबई की धरती पर जीवन में दोबारा कदम रख रही थी आखिर आज वह अपने बेटे के साथ बंबई की धरती पर जीवन में दोबारा कदम रख रही थी
मैं दिन रात केवल दक्षिण की ओर से आने वाले गुप्तचरों की प्रतीक्षा करती रहती मैं दिन रात केवल दक्षिण की ओर से आने वाले गुप्तचरों की प्रतीक्षा करती रहती