अपनी दुरूह पूर्ण ज़िन्दगी को जीने के लिए हौसलों की पोटली को लाद कर वह फिर चल पड़ा। अपनी दुरूह पूर्ण ज़िन्दगी को जीने के लिए हौसलों की पोटली को लाद कर वह फिर चल पड़ा।
मेहता जी आपकी शायरी से आपका शौक तो पूरा हो रहा है, लेकिन सम्मान से रसोई में राशन नहीं भरता।" मेहता जी आपकी शायरी से आपका शौक तो पूरा हो रहा है, लेकिन सम्मान से रसोई में राशन...
खत्म हुआ बिजनौर से गोआ और फिर बिजनौर तक का सुनहरा सफर। खत्म हुआ बिजनौर से गोआ और फिर बिजनौर तक का सुनहरा सफर।
एक वो दिन था और आज ये दिन है कि मैंने लिखना कभी बंद नहीं किया। अब ये मेरे जीवन की तरह है जिससे मैं द... एक वो दिन था और आज ये दिन है कि मैंने लिखना कभी बंद नहीं किया। अब ये मेरे जीवन क...