सभी अपनी स्वेच्छा अनुसार मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाते है। सभी अपनी स्वेच्छा अनुसार मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाते है।
आखिरकार निष्ठुर नियति को भी निर्मला पर दया आ ही गई। आखिरकार निष्ठुर नियति को भी निर्मला पर दया आ ही गई।
इसीलिए बिष और विष दोनों एक ही मायने के मतहाबिल है इसीलिए बिष और विष दोनों एक ही मायने के मतहाबिल है