सोने की चैन निकाल कर सोना को पहना दी और कहा मेरी सोना को मेरा पहला तोहफा सोना। सोने की चैन निकाल कर सोना को पहना दी और कहा मेरी सोना को मेरा पहला तोहफा सोना।
आज ये लड़ाई सार्थक हो गई !" ये कहकर मां बेटी फिर से रोते हुए गले मिली। आज ये लड़ाई सार्थक हो गई !" ये कहकर मां बेटी फिर से रोते हुए गले मिली।
लेखक : धीराविट पी. नात्थागार्न ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : धीराविट पी. नात्थागार्न ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
अब तुम दोनों कान खोलकर सुन लो ; मेरी पोतियां जरुर आगे पढ़ेंगी। अब तुम दोनों कान खोलकर सुन लो ; मेरी पोतियां जरुर आगे पढ़ेंगी।