चाँदी की बात सुन लोहा बोला," काहे की बड़ी है, तेरी चमक केवल एक लोक दिखावा है चाँदी की बात सुन लोहा बोला," काहे की बड़ी है, तेरी चमक केवल एक लोक दिखावा है
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास