हम सब आपस में पौधों का लेनदेन तो करते ही रहते हैं। हम सब आपस में पौधों का लेनदेन तो करते ही रहते हैं।
जब भी बाहर से आती तो इस उम्मीद के साथ कि शायद वो आज ठीक मिलेंगे जब भी बाहर से आती तो इस उम्मीद के साथ कि शायद वो आज ठीक मिलेंगे