नारी के लिए इतनी पाबंदियां इतने बंधन कि उसे स्वयं के पैदा होने पर मलाल हो जाए नारी के लिए इतनी पाबंदियां इतने बंधन कि उसे स्वयं के पैदा होने पर मलाल हो जाए
उस दर्द को रमेश कभी नहीं समझ पायेगा। उस दर्द को रमेश कभी नहीं समझ पायेगा।