प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव अपनी आत्मकथा ‘बूंद-बावड़ी’ मे लिखती हैं- “औरत को आखिर किससे प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव अपनी आत्मकथा ‘बूंद-बावड़ी’ मे लिखती हैं- “औरत को आखि...
जब कभी बंद करती हूं अपनी आंखें नज़र आतें हैं वही जिन्हें खो दिया है अपनी ही नादानी से. जब कभी बंद करती हूं अपनी आंखें नज़र आतें हैं वही जिन्हें खो दिया है अपनी ही नादा...
किसी लफंगे के उन्माद से दोनों समुदाय के बीच झगड़ा फसाद ना हो जाए। .. किसी लफंगे के उन्माद से दोनों समुदाय के बीच झगड़ा फसाद ना हो जाए। ..