फिर ए .... और बैटरी की जाती जान के साथ ! फिर ए .... और बैटरी की जाती जान के साथ !
होके खा और खिलवा दिए। विजय पताका के साथ पांच गाँव वाली। होके खा और खिलवा दिए। विजय पताका के साथ पांच गाँव वाली।
नब्बे के दशक के आशिक डरपोक थे नब्बे के दशक के आशिक डरपोक थे
बहुतों के समझ से दूर इस पीढ़ी के,एक वी सी आर होता था बहुतों के समझ से दूर इस पीढ़ी के,एक वी सी आर होता था
उन्हें बस हिंदी मेंं बस पढ़ना-लिखना आता था जो उनके पति ने सिखाया था। उन्हें बस हिंदी मेंं बस पढ़ना-लिखना आता था जो उनके पति ने सिखाया था।