लेखक: निकलाय नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: निकलाय नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
तभी तेज हवाएं चलने लगी और अजीबो गरीब सी आवाज गूंजने लगी! तभी तेज हवाएं चलने लगी और अजीबो गरीब सी आवाज गूंजने लगी!